ऐ हवा
चल, ले चल
कहीं दूर,
दरिया के किनारे
किस्मत के सहारे
दुनिया से अंजान
वीरान धरा पर
जहाँ बस चाँदनी हो और दरिया का नूर।
जहाँ लहरें कहानी कहें दिन रात,
और सितारे करें हमारी मोहब्बत की बात।
जहाँ वक़्त ठहर जाए हमारे लिए,
और हर लम्हा बने दुआ तेरे लिए।
जहाँ ज़िन्दगी का कोई नाम ना हो,
ना कोई बीते कल का इल्ज़ाम हो।
एक नई सुबह हो आँखों में बसती,
और हर शाम तेरे आँचल में सिमटी।
जहाँ
न शिकवे,
न कोई अफ़साने हों,
सिर्फ़ हम हों,
और फ़साने हों।
जहाँ ना हो कोई मज़हब,
ना जात की दीवार हो,
बस तू हो, मैं हूँ — और हमारा प्यार हो।
ऐ हवा
चल, ले चल
कहीं दूर,
दरिया के किनारे
किस्मत के सहारे
दुनिया से अंजान
वीरान धरा पर
रहंगे
सिर्फ मैं और तू।